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Ritik Nayak

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  • पंचायत सीजन -3 ....कहाँ पहुंची फुलेरा की लड़ाई?पंचायत सीजन -3 ....कहाँ पहुंची फुलेरा की लड़ाई?

    पंचायत सीजन -3 ....कहाँ पहुंची फुलेरा की लड़ाई?

    पंचायत का तीसरा सीजन आ चुका है। पहले दोनों सीजन की तरह इस बार भी कॉमेडी और इमोशन का बेहतरीन संतुलन इसे अपनी जनता को अपनी तरफ खींचने में मदद करता है। दादी का नया कैरेक्टर भी खूब वाहवाही लूट रहा है। तो वहीं , मेहमान यानि गांव के दामाद का रोल भी बेहद शानदार नजर आ रहा है। गांव की राजनीति अपने चरम पर पहुंच चुकी है। भूषण (बनराकस ) अपने साथ विनोद और माधव को लेकर विधायक की कृपा से सत्ता पलट की कोशिश में लगा है तो वहीं प्रधान जी और उनके साथी अपनी कुर्सी बचाने में।

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  • दिल्ली के सियासी दलदल में खिलेगा कमल या होगी झाडू की वापसीदिल्ली के सियासी दलदल में खिलेगा कमल या होगी झाडू की वापसी

    दिल्ली के सियासी दलदल में खिलेगा कमल या होगी झाडू की वापसी

    आज दिल्ली में सातों लोकसभा सीट के लिए मतदान संपन्न हुआ। यहां इंडिया गठबंधन से  4 सीटों पर आम आदमी पार्टी तो तीन पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में सातों सीटें बीजेपी के खाते में गई थी। हालांकि इस बार बीजेपी ने मनोज तिवारी को छोड़कर बाकी सारे सांसदों की टिकट काट दी है। इसमें गौतम गंभीर और हंसराज हंस जैसे सेलिब्रिटी भी शामिल है। भाजपा यहां एक फिर 2019 वाला प्रदर्शन दोहराने के लिए पूरी शक्ति से लगी है। 

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  • 400 पार के लिए भेदना होगा दक्षिण का किला400 पार के लिए भेदना होगा दक्षिण का किला

    400 पार के लिए भेदना होगा दक्षिण का किला

    बीजेपी आज सदस्यों  के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाती है। बीजेपी के अभी लगभग 18 करोड़ सदस्य देशभर में है। पार्टी लगातार दो चुनावों से पूर्ण बहुमत से केंद्र और राज्य में अपनी सरकार बनाती आ रही है। कई राज्यों में भाजपा गठबंधन में सरकार चला रही है। इस बार पीएम मोदी ने 400 पार का लक्ष्य दिया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए दक्षिण को साधना बेहद जरुरी है। भारतीय जनता पार्टी को अक्सर उत्तर भारत की पार्टी कहा जाता है। इसके पीछे कारण उनका उत्तर भारत में जबरदस्त प्रभाव होना और दक्षिण में बेहद निष्प्रभावी होना है।  एक अकेले महाराष्ट्र से लगे कर्नाटक को छोड़ दे तो दक्षिण में भाजपा को कई बार खाता खोलना भी लोहे के चने चबाने जैसा लगता है। पुडुचेरी और केरल दो ऐसे राज्य है जहाँ आज तक भाजपा एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई है। वहीं , आंध्र प्रदेश ,तेलंगाना , तमिलनाडु में भी भाजपा का प्रदर्शन कोई बहुत शानदार नहीं रहा है। 

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  • कोई भी जीते एक ही घर में रहेगी सांसद विधायक की सीट , रतलाम - झाबुआ सीट पर सियासी जंग तेजकोई भी जीते एक ही घर में रहेगी सांसद विधायक की सीट , रतलाम - झाबुआ सीट पर सियासी जंग तेज

    कोई भी जीते एक ही घर में रहेगी सांसद विधायक की सीट , रतलाम - झाबुआ सीट पर सियासी जंग तेज

     झाबुआ - रतलाम लोकसभा में मध्यप्रदेश की उन चुनिंदा सीट में से एक है ,जहाँ कांग्रेस मजबूत और जीतने की स्थिति में दिख रही है। यहां मुकाबला दिग्गज आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया और कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान के बीच है। यहाँ परिवारवाद पर कोई आरोप - प्रत्यारोप नहीं होते। एक मौन सहमति बन सी गई है। मानो लग रहा हो एक दूसरे से वादा कर दिया हो कि किसी घर में तो एक सांसद - विधायक जोड़ी बनेगी ही। चाहे वह सांसद विधायक जोड़ी पति - पत्नी की हो या पिता - पुत्र की। 

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  • मध्यप्रदेश में वोट के साथ नोट क्यों मांग रहे कांग्रेसीमध्यप्रदेश में वोट के साथ नोट क्यों मांग रहे कांग्रेसी

    मध्यप्रदेश में वोट के साथ नोट क्यों मांग रहे कांग्रेसी

    मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारी पूरे जोर - शोर से चल रही है। भाजपा जहां घर - घर जाकर वोट मांग रही है। वहीं कांग्रेस प्रदेश की राजधानी भोपाल में वोट के साथ जनता से नोट भी मांग कर रही है। कांग्रेस के उम्मीदवार और मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी रविवार भोपाल में जनता से चंदा मांगने निकले। जीतू पटवारी और भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी अरुण सिंह ने लोगों से कहा - हमें वोट दे और नोट भी। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि एक रुपए से लेकर जितनी इच्छा हो आप चंदा दें। एक नोट , एक वोट के नारे के साथ निकली कांग्रेस व्यापारियों के पास पहुंची। दोनों ने न्यू मार्केट इलाके के दुकानों से चंदा इकट्ठा किया। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में अपने सारे उम्मीदवारों से अपील की है कि वे अपने -अपने क्षेत्र में यह अभियान चलाएं।  

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  • कौन है अपनी तेज-तर्रार गेंदबाजी से सनसनी मचाने वाला मंयककौन है अपनी तेज-तर्रार गेंदबाजी से सनसनी मचाने वाला मंयक

    कौन है अपनी तेज-तर्रार गेंदबाजी से सनसनी मचाने वाला मंयक

    भारत में कोई गेंदबाज अगर 150 से अधिक की गति से गेंदबाजी करता है, तो हर क्रिकेट प्रेमी उत्साह और खुशी से झूम उठता है। इसी तरह के एक गेंदबाज ने लखनऊ सुपर जायंटस और पंजाब सुपर किंग्स के मैच में पदार्पण किया। इस युवा गेंदबाज ने लखनऊ की तरफ से गेंदबाजी करते हुए अपनी गति से शिखर धवन ,जाॅनी बेयरस्स्टो जैसे बल्लेबाजों को अपनी तेज गेंदों से छकाया। अनुभवी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी इस 21 साल के युवा की गेंदों की गति संभाल नहीं पा रहे थे। यह युवा गेंदबाज लगातार 150 से अधिक की गति से गेंद डाल रहा था। हालांकि सभी उस वक्त हक्का - बक्का  रह गए जब इस लड़के ने इस आईपीएल की सबसे तेज गेंद 155.8 की  गति से डाल दी। अपनी शानदार गेंदबाजी से अपने पदार्पण में ही मैन ऑफ द मैच बनने वाले इस खिलाड़ी का नाम मयंक यादव है। मयंक का नाम आज हर क्रिकेट प्रेमी के लब पर है,तो चलिए जानते है कौन है मयंक यादव ।

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  • 238 चुनाव हारने वाला उम्मीदवार फिर सियासी मैदान में238 चुनाव हारने वाला उम्मीदवार फिर सियासी मैदान में

    238 चुनाव हारने वाला उम्मीदवार फिर सियासी मैदान में

    राजनीति में एक कहावत होती है कि पहला चुनाव हारने के लिए लड़ो, दूसरा हराने और तीसरा जीतने के लिए। हर शख्स चुनाव जीतने के लिए लड़ता है। अगर 3-4 बार लगातार हार जाए तो राजनीति छोड़ देता है। लेकिन अगर कोई आपसे कहे कि एक व्यक्ति 238 बार चुनाव हार चुका है और 239वें चुनाव की तैयारी कर रहा है,तो आपको लगेगा कोई आपको बुद्धू बना रहा है।

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  • झाबुआ के गांधी ने 'हलमा' से बदल दी झाबुआ की तस्वीरझाबुआ के गांधी ने 'हलमा' से बदल दी झाबुआ की तस्वीर

    झाबुआ के गांधी ने 'हलमा' से बदल दी झाबुआ की तस्वीर

    तन पर धोती और एक सामान्य कपड़ा ,पीछे खड़ी झाबुआ के हजारों आदिवासियों की भीड़। वहीं आदिवासी जिन्होंने हलमा परंपरा के जरिए पूरे विश्व को ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने और आत्मनिर्भरता का पाठ सिखाया। जिस पर आईआईटी शोध करती है ,तो प्रधानमंत्री उसे दुनिया के लिए प्रेरणा बनाते है। उसी महान हलमा परंपरा में इन आदिवासियों का नेतृत्व करने और उन्हें सामूहिक श्रमदान की ताकत का अहसास दिलवाने वाले व्यक्ति का नाम है पद्म श्री महेश शर्मा। झाबुआ के गांधी के नाम से मशहूर महेश शर्मा का पूरा जीवन आदिवासी समाज के उत्थान और कल्याण की गाथा है।  

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  • फिल्मों से लेकर सियासत तक सब की अम्मा ऐसे बनी जयललिताफिल्मों से लेकर सियासत तक सब की अम्मा ऐसे बनी जयललिता

    फिल्मों से लेकर सियासत तक सब की अम्मा ऐसे बनी जयललिता

    "मैं कसम खाती हूँ कि अब मुख्यमंत्री बनकर ही इस विधानसभा में लौटूंगी"। और 2 साल बाद यह कसम पूरी होती है और वो महिला तमिलनाडु की सबसे युवा मुख्यमंत्री बनकर लौटती है। कभी अपनी माँ के फिल्मों में काम करने से नफरत करने वाली अम्मु को किस्मत दक्षिण भारत की सबसे सफल अदाकारा बना देती है। अम्मा के नाम से मशहूर यह नेत्री राजनीति में उतरी तो भारत की सबसे लोकप्रिय और मजबूत महिला चेहरा बन गई । ये महिला थी जे. जयललिता। 

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  • क्या है अफस्पा जिसे वापस लेने के गृहमंत्री ने दिए संकेतक्या है अफस्पा जिसे वापस लेने के गृहमंत्री ने दिए संकेत

    क्या है अफस्पा जिसे वापस लेने के गृहमंत्री ने दिए संकेत

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर पर बड़ा बयान दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर से  सशस्त्र बल (विशेष अधिकार ) एक्ट यानि अफस्पा वापस लेने पर विचार करेगी। उन्होंने आगे कहा - सरकार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू - कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने की योजना बना रही है।कानून व्यवस्था को जम्मू कश्मीर पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा। 

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  • होलकरों से शुरु हुई इंदौर की गैर दुनियाभर में छाईहोलकरों से शुरु हुई इंदौर की गैर दुनियाभर में छाई

    होलकरों से शुरु हुई इंदौर की गैर दुनियाभर में छाई

    रंगपंचमी पर इंदौर की सड़कों पर हजारों की भीड़ के  बीच एंबुलेंस को रास्ता देने के बाद इंदौर की गैर चर्चा में है। इंदौर में हर साल रंगपंचमी पर विशाल गैर का आयोजन होता है।इस 3 किलोमीटर लंबी गैर में इस बार 5 लाख के आसपास लोग शामिल हुए। पूरा इंदौर मानो सड़कों पर उतर आया हो। इंदौर का आकाश गुलाल से ढक गया। इंदौरवासी नाचते - झूमते गुलाल उड़ाते आगे बढ़ रहे थे । तभी अचानक पीछे से आ रही एक एंबुलेंस गैर के बीच फंस गई।लेकिन गैर में झूम रहें इंदौरियों ने देखते ही देखते कुछ मिनटों में एंबुलेंस का रास्ता साफ कर दिया। इसके बाद पूरे देश में इस घटना का वीडियो वायरल हो गया। जिसके  चलते इंदौर और इंदौर की गैर चर्चा का केंद्र बनी रही। सबसे खास बात यह भी रही कि इतना ज्यादा रंग - गुलाल उड़ाने के बाद भी इंदौर एक घंटे के भीतर पूरे शहर को साफ कर दिया। 

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  • मप्र में भगोरिया से आदिवासियों को साध रही पार्टियांमप्र में भगोरिया से आदिवासियों को साध रही पार्टियां

    मप्र में भगोरिया से आदिवासियों को साध रही पार्टियां

    पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल में भगोरिया की धूम मच रही है। चुनावी मौसम में सभी उम्मीदवार और राजनीतिक दल भगोरिया के जरिये आदिवासी मतदाताओं को लुभाने में लगे है। प्रदेश के अलीराजपुर ,झाबुआ, धार ,बड़वानी ,खरगोन ,खंडवा और बुरहानपुर में  इस समय भगोरिया का आयोजन हो रहा है। 

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  • भोजशाला में एएसाआई सर्वे ,जानिए क्या है विवादभोजशाला में एएसाआई सर्वे ,जानिए क्या है विवाद

    भोजशाला में एएसाआई सर्वे ,जानिए क्या है विवाद

    मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद धार के भोजशाला में 22 मार्च 2024 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सर्वे शुरू हो गया। ज्ञानवापी की तरह भोजशाला में भी एएसआई सर्वे के में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यहां किस तरह के प्रतीक चिन्ह, वास्तु शैली और धरोहर है। भोजशाला के सर्वेक्षण करने का निर्देश को लेकर मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी मध्य प्रदेश ने उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।उन्हें यहाँ भी निराशा हाथ लगी। 

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  • कमल और कमलनाथ का सियासी ड्रामाकमल और कमलनाथ का सियासी ड्रामा

    कमल और कमलनाथ का सियासी ड्रामा

    कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने के सियासी ड्रामे में आज फिर एक नया मोड़ आया। दिल्ली में प्रेस से बात करते हुए उनके विश्वसनीय व पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि कमलनाथ भाजपा में शामिल नहीं हो रहे। नकुल नाथ छिंदवाड़ा से कांग्रेस के टिकट पर ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि यही सज्जन सिंह वर्मा कुछ दिन पहले अपने गुरु कमलनाथ के साथ जाने की बात कर रहे थे। वे कांग्रेस को भी कमलनाथ के सम्मान का ध्यान रखने की नसीहत दे रहे थे । 

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  • "कभी -कभी राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है""कभी -कभी राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है"

    "कभी -कभी राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है"

    "कहीं न कहीं कोई बड़ा उद्देश्य तो होगा,कई बार राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है, लेकिन वह किसी उद्देश्य के लिए होता है। यह बयान मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने गृह क्षेत्र बुधनी में एक सभा में दिया। इसके अलावा उन्होंने भोपाल में 74 बंगले कॉलोनी में स्थित अपने नए बंगले का नाम भी "मामा का घर" कर दिया है।

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  • सीटों के चक्रव्युह को कैसे भेदेगा इंडिया गठबंधनसीटों के चक्रव्युह को कैसे भेदेगा इंडिया गठबंधन

    सीटों के चक्रव्युह को कैसे भेदेगा इंडिया गठबंधन

    लोकसभा चुनाव को लेकर  इंडिया गठबंधन में सीटों की खींचतान दिखने लगी है। नवनिर्मित इंडिया गठबंधन में सीटों को लेकर कश्मकश जारी है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अकेले चुनाव लड़ने की बात कह चुकी है। उनका मानना है कि उनकी सीधी टक्कर भाजपा से है। 

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  • रेवड़ी संस्कृति बढ़ा रही सरकारों पर कर्जा रेवड़ी संस्कृति बढ़ा रही सरकारों पर कर्जा

    रेवड़ी संस्कृति बढ़ा रही सरकारों पर कर्जा

    चुनाव जीतने की दौड़ में आज हर पार्टी रेवड़ी के दौड़ में प्रथम आना चाहती है। इस फ्रीबीज बांटने की होड़ में राजनीतिक दल और जनता दोनों एक दुष्चक्र में फंसती जा रही है। इन ,सबसे पहले हमें फ्रीबीज है क्या यह समझना चाहिए। फ्रीबीज के बारे में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में बताया था कि अगर प्राकृतिक आपदा या महामारी के समय कोई दवाएँ ,खाना या पैसा मुफ्त बांटा जाए तो वह फ्रीबीज नहीं है लेकिन आम दिनों में ऐसा होता है तो उसे फ्रीबीज माना जाता है। वहीं, आरबीआई ने कहा था कि ऐसी योजनाएं जिससे क्रेडिट कल्चर कमजोर हो,सब्सिडी की वजह से कि मते गिरे ,प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में गिराव आए और लेबर फोर्स भागीदारी कम हो तो वो फ्रीबीज कहलाती है। हालांकि हर कल्याणकारी योजना को मुफ्त रेवड़ी नहीं कहा जा सकता। आमतौर पर कल्याणकारी योजनाओं और फ्रीबीज में इसकी घोषणा के समय से अंतर किया जाता है। कल्याणकारी योजनाएं किसी भी समय घोषित की जाती है जबकि फ्रीबीज चुनाव के समय घोषित की जाती है। 

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  • दिग्गजों को किनारे लगा भाजपा ने ऐसे मारे एक तीर से तीन निशानदिग्गजों को किनारे लगा भाजपा ने ऐसे मारे एक तीर से तीन निशान

    दिग्गजों को किनारे लगा भाजपा ने ऐसे मारे एक तीर से तीन निशान

    तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को लेकर हफ्ते भर से चल रहे थ्रीलर से जब पर्दा उठा तो नेता से लेकर जनता सब चौंके नजर आए। इस तरह चौंकाने की भाजपा की पद्धति कोई नई नहीं है। चाहे गुजरात में दिग्गज नेताओं की जगह जीवन में एक भी चुनाव न लड़ने वाले नरेन्द्र मोदी की बात हो या हरियाणा में मनोहर खट्टर की। ऐसे कई उदाहरण भाजपा के राजनैतिक इतिहास में मिल जाएंगे। तो चलिए समझने का प्रयास करते है कि आखिर तीनों राज्यों में अनुभवी व दिग्गज नेताओं की जगह नए और चौंकाने वाले चेहरों को चुनने के पीछे क्या रणनीति हो सकती है। 

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  • बागी और छोटे दलों ने बढ़ाई भाजपा -कांग्रेस की मुश्किलें, गुटबाजी खिलाएगी क्या गुल ।बागी और छोटे दलों ने बढ़ाई भाजपा -कांग्रेस की मुश्किलें, गुटबाजी खिलाएगी क्या गुल ।

    बागी और छोटे दलों ने बढ़ाई भाजपा -कांग्रेस की मुश्किलें, गुटबाजी खिलाएगी क्या गुल ।

    मध्य प्रदेश में इस बार सियासी मुकाबला पेचीदा रूप लेता नजर आ रहा है| कांग्रेस बीजेपी दोनों में गुटबाजी चरम पर है | टिकट वितरण को लेकर नाराज भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी उनकी मुसीबत बढ़ा रखी हैं | वही जयस जैसे संगठन भी चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं

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  • भूरीबाई - कभी 6 रूपए दिन पर की मजदूरी,आज पदम श्री भूरीबाई की लाखों में बिकती है पेंटिंग।भूरीबाई - कभी 6 रूपए दिन पर की मजदूरी,आज पदम श्री भूरीबाई की लाखों में बिकती है पेंटिंग।

    भूरीबाई - कभी 6 रूपए दिन पर की मजदूरी,आज पदम श्री भूरीबाई की लाखों में बिकती है पेंटिंग।

    स्त्री कभी हारती नहीं

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