आज दिल्ली में सातों लोकसभा सीट के लिए मतदान संपन्न हुआ। यहां इंडिया गठबंधन से 4 सीटों पर आम आदमी पार्टी तो तीन पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में सातों सीटें बीजेपी के खाते में गई थी। हालांकि इस बार बीजेपी ने मनोज तिवारी को छोड़कर बाकी सारे सांसदों की टिकट काट दी है। इसमें गौतम गंभीर और हंसराज हंस जैसे सेलिब्रिटी भी शामिल है। भाजपा यहां एक फिर 2019 वाला प्रदर्शन दोहराने के लिए पूरी शक्ति से लगी है।
दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद चुनाव में थोड़ी पिछड़ी लग रही थी। अदालत द्वारा केजरीवाल को जमानत देने के बाद आम आदमी पार्टी का जोश बढ़ा ही था कि अचानक स्वाति मालीवाल मामले ने 'आप को बैकफुट पर धकेल दिया। स्वाति मालीवाल पर केजरीवाल की चुप्पी को भाजपा ने जमकर मुद्दा बनाया। दिल्ली में वोटिंग के ऐन पहले हुए इस मामले के सियासी मायने भी निकाले गए । विभव कुमार को पुलिस ने ज्यूडिशियल कस्टडी में ले रखा है। गिरफ्तारी के पहले विभव केजरीवाल के साथ लखनऊ दौरे पर भी देखे गए थे। स्वाती और भाजपा द्वारा घटना के बाद विभव को अपने साथ लखनऊ ले जाने पर केजरीवाल पर उन्हें बचाने का आरोप लगाया। वहीं , आतिशी ने इसे भाजपा का षड्यंत्र करार दिया।
बहरहाल , मुख्यमंत्री निवास में अपनी ही पार्टी की राज्यसभा सांसद के साथ ऐसी घटना होना वाकई आश्चर्यजनक और चिंताजनक भी है। इससे ज्यादा हैरानी बात इसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चुप्पी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इससे आम आदमी पार्टी जिन्हें दिल्ली की महिला वोटर्स का सपोर्ट माना जाता है, नुकसान हो सकता है। फिलहाल मामला अदालत में है। पुलिस जांच कर रही है। मतदान भी हो चुका है। इसका फायदा - नुकसान तो 4 जून को पता चल ही जाएगा। हालांकि , उससे पहले 2 जून को अरविंद केजरीवाल को फिर से सरेंडर कर जेल जाना होगा। अरविंद केजरीवाल के अलावा मनीष सिसोदिया , सत्येंद्र जैन जैसे आप के बड़े नेता पहले ही जेल में बंद है। स्वाति मालीवाल के अनुसार , विभव कुमार भी आप में किसी आम सेक्रेटरी की तरह नहीं है, उनका पार्टी में काफी रसूख है। ऐसे में उनके जेल जाने की परिस्थिति में आप के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है। ईडी ने पार्टी को बड़ा झटका देते हुए आप को भी इस मामले में दोषी बनाया है। पिछली सुनवाई के दौरान ईडी की तरफ से पेश वकील ने आम आदमी पार्टी को भी शराब घोटाले में पार्टी बनाया है। ऐसे में पार्टी के अन्य बड़े नेता भी इस मामले में उलझ सकते है।
2025 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने है। वर्तमान में दिल्ली की विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर आप का कब्जा है। पिछले एक दशक में भाजपा के लिए दिल्ली एक ऐसा राज्य है जहाँ लोकसभा में शानदार प्रदर्शन के विपरीत उसे विधानसभा में कामयाबी नहीं मिली है। ऐसे में दिल्ली की शराब में घुली हवा आप को बड़ी भारी पड़ती नजर आ रही है। ईडी पर आप का कसता शिकंजा और आप में हुई टूट उनके लिए लोकसभा ही नहीं आने वाले विधानसभा चुनावों में भी मुश्किल खड़ी कर सकती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आप 2024 के साथ ही अगले साल होने वाली राज्य की लड़ाई में आप कैसे अपनी सत्ता कायम रख पाती है।
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