"कभी -कभी राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है"

"कहीं न कहीं कोई बड़ा उद्देश्य तो होगा,कई बार राजतिलक होते होते वनवास हो जाता है, लेकिन वह किसी उद्देश्य के लिए होता है। यह बयान मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने गृह क्षेत्र बुधनी में एक सभा में दिया। इसके अलावा उन्होंने भोपाल में 74 बंगले कॉलोनी में स्थित अपने नए बंगले का नाम भी "मामा का घर" कर दिया है।

दरअसल शिवराज सिंह चौहान जब से मुख्यमंत्री के पद से विदा हुए है ,लगातार उनके ऐसे बयान और भावुक होते विडियो सामने आ रहे है। चाहे अपनी लाडली बहनों को रोते देख खुद शिवराज की आँखों में आंसु आ जाना हो या फिर समर्थकों का उन्हें घेर लेने पर भावुक हो जाना। शिवराज लगातार खबरों में बने हुए है। शिवराज के इसी अंदाज के कारण वे 18 वर्ष से अधिक मध्यप्रदेश के सिरमौर बने रहें। 

ऐसे में यह समझना दिलचस्प हो जाता है कि आखिर इन सबसे शिवराज क्या संदेश देना चाहते है,और किसे देना चाहते है ? शिवराज को अभी तक कोई जिम्मेदारी भी नहीं दी गई है। मंत्रिमंडल में उनका नाम न आना एक तरह से अपेक्षित ही था। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी उन्हें मध्यप्रदेश से बाहर रखने की तैयारी में नजर आ रहा है। इसके पीछे बड़ी वजह शिवराज की लोकप्रियता है। माना जा रहा है कि उनके मध्यप्रदेश में एक्टिव रहने से मोहन यादव के कामकाज और लोकप्रियता बड़े तौर पर प्रभावित हो सकती है। 

 इन सबका एक अर्थ यह निकाला जा रहा है कि शिवराज भाजपा आलाकमान को यह मध्यप्रदेश में पद जाने के बाद भी अपनी लोकप्रियता और उपयोगिता जताना चाह रहे है। आमतौर पर माना जाता है कि शिवराज दिल्ली जाना पसंद नहीं करते। कई मौकों पर वे  यह बात खुद भी कहते नजर आए है। चूंकि कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं और मध्यप्रदेश में 29 लोकसभा सीट है। ऐसे में शिवराज पार्टी को संदेश देने चाह रहे है कि उन्हें मध्यप्रदेश में यह सीटें जीतने के लिए उनकी कितनी आवश्यकता है। 

इसके साथ ही कई बार राजनेता अपने लिए बेहतर पद की लालसा में भी शक्ति प्रदर्शन और अपनी लोकप्रियता का नजारा पेश करते रहते है। जेपी नड्डा ने अपने  एक बयान में शिवराज को लेकर कहा था कि वो हमारे एक दिग्गज नेता है, और जल्द ही उनसे बड़ा काम लेंगे। ऐसे में अपनी झोली में बड़ा फल डलवाने का भी यह एक तरीका हो सकता है। शिवराज के लिए संगठन और सरकार दोनों में कई मौके भी बनते नजर आते है। संगठन की बात करें तो इस साल स्वयं जेपी नड्डा का बतौर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकाल समाप्त हो रहा है। अनुभव और छवि को देखते हुए शिवराज इसके प्रमुख दावेदार हो सकते है। सरकार में भी अगले कार्यकाल में वे नरेन्द्र सिंह तोमर की जगह कृषि ऐसे ही कोई अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल सकते है। 

बहरहाल जो भी हो, शिवराज अपने चिर -परिचित अंदाज में जनता के बीच बने रहने की 
अपनी कला को जारी रखे हुए है। अब देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी उनकी लोकप्रियता को संभालते हुए कैसे इसका उपयोग फायदे के लिए लेती है।

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Ritik Nayak

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