क्या है अफस्पा जिसे वापस लेने के गृहमंत्री ने दिए संकेत

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर पर बड़ा बयान दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर से  सशस्त्र बल (विशेष अधिकार ) एक्ट यानि अफस्पा वापस लेने पर विचार करेगी। उन्होंने आगे कहा - सरकार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू - कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने की योजना बना रही है।कानून व्यवस्था को जम्मू कश्मीर पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा। 

शाह का कहना था कि जम्मू कश्मीर की पुलिस ने कई बड़े ऑपरेशन का नेतृत्व किया है।उन्होंने कहा हम कश्मीरी युवाओं से बातचीत करेंगे न कि उन संगठनों से जिनकी जड़ें पाकिस्तान से जुड़ी हैं। शाह ने पाकिस्तान की बदहाली का हवाला दिया और कहा, कश्मीर को सिर्फ पीएम मोदी ही बचा सकते हैं। शाह ने साफ शब्दों में कहा- बीजेपी और पूरी संसद का मानना है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है।पीओके में रहने वाले मुस्लिम और हिंदू भाई सभी भारतीय है। पीओके पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। 

अफस्पा को अशांत या हिंसाग्रस्त इलाकों में लगाया जाता है। ऐसे इलाकों में सुरक्षा बलों  के पास बिना वारंट किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार होता है। इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को किसी के भी घर की तलाशी लेने का अधिकार होता है। कानून का उल्लंघन करने वालों को चेतावनी देने के बाद सुरक्षाबलों को उन पर बल प्रयोग या गोली चलाने की भी अनुमति होती है।

किसी बिल्डिंग में आतंकियों के छुपे होने के शक पर सुरक्षा बल बिल्डिंग को तबाह भी कर सकते है।  1989 में जब जम्मू - कश्मीर के हालात बिगड़ने के बाद 1990 में इसे यहां लागू कर दिया गया। अफस्पा केवल अशांत क्षेत्रों में ही लगता है। अशांत क्षेत्र कौन सा होगा यह फैसला भी केंद्र सरकार ही करती है। इसमें सुरक्षा बलों पर तब तक कोई कारवाई नहीं हो सकती ,जब तक केंद्र सरकार इसकी अनुमति न दे। 

जम्मू - कश्मीर में अफस्पा का लंबे समय से विरोध हो रहा है। राजनीतिक दल और आम जनता कई वर्षों से सेना के इन विशेष - अधिकारों को खत्म करने की मांग कर रही है। इस दौरान कई बार सेना पर इस कानून के दुरुपयोग और फर्जी एनकाउंटर के भी आरोप लगते रहे है। हाल ही में राजौरी में कस्टडी में चार युवकों की मौत ने फिर इस मामले को गरमा दिया। 

केंद्र सरकार का मानना है कि 2019 में धारा 370 हटने के बाद जम्मू - कश्मीर में हालात बदले है। पिछले 5 साल में वहाँ कानून व्यवस्था काफी बेहतर हुई है। जम्मू - कश्मीर के हालातों का ब्यौरा देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि हम जम्मू - कश्मीर पुलिस में गुणात्मक बदलाव लाएं है। वे अब सभी ऑपरेशन में सबसे आगे हैं। पहले सेना और केंद्रीय बल ही नेतृत्व कर रहे थे। चुनाव के बाद निश्चित रूप से हम कानून और व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी जम्मू - कश्मीर पुलिस को सौंप देंगे।

केंद्र सरकार का दावा है कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों की मौजूदगी घटी है। सरकार के अनुसार - आतंकवाद में 80 फीसद की कमी आई है, पत्थरबाजी की घटनाएं पूरी तरह खत्म हुई है। गृह मंत्री ने कहा - . गृह मंत्री ने कहा, 2010 में पथराव की 2564 घटनाएं हुई थीं जो अब शून्य हैं।2004 से 2014 तक 7217 आतंकी घटनाएं हुईं. 2014 से 2023 तक यह घटकर 2227 हो गई। यह करीब 70 प्रतिशत की कमी है। 2004 से 2014 तक मौतों की कुल संख्या 2829 थी और 2014-23 के दौरान यह घटकर 915 हो गई है, जो 68 प्रतिशत की कमी है। नागरिकों की मृत्यु 1770 थी और घटकर 341 हो गई है, जो 81 प्रतिशत की गिरावट है। सुरक्षा बलों की मौतें 1060 से घटकर 574 हो गईं, जो 46 प्रतिशत की कमी है।

देशभर में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जम्मू - कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने है। इसे 30 सितंबर से पहले करवाने की तैयारी है। सरकार इसके बाद अफस्पा हटाकर धीरे - धीरे सेना की तैनाती कम कर सकती है। इसके लिए लगातार पिछले कुछ वर्षों से जम्मू - कश्मीर पुलिस को ट्रेनिंग दी जा रही है। जम्मू - कश्मीर पुलिस इस बीच आतंकवाद पर नकेल कसने में सफल रही है। गृह मंत्री कई मौकों पर जम्मू - कश्मीर पुलिस का हौसला बढ़ाते नजर आए है।

इससे पहले भी शाह अफस्पा को लेकर अपनी बात रख चुके है। शाह ने अपने एक बयान में कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा दिया गया है। सितंबर में जम्मू - कश्मीर  में विधानसभा चुनाव होंगे।जम्मू कश्मीर को लोकतंत्र को स्थापित करना नरेन्द्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। हालांकि , यह लोकतंत्र केवल तीन ही परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि लोगों का लोकतंत्र होगा। 

Write a comment ...

Ritik Nayak

Show your support

.

Write a comment ...