बीजेपी आज सदस्यों के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाती है। बीजेपी के अभी लगभग 18 करोड़ सदस्य देशभर में है। पार्टी लगातार दो चुनावों से पूर्ण बहुमत से केंद्र और राज्य में अपनी सरकार बनाती आ रही है। कई राज्यों में भाजपा गठबंधन में सरकार चला रही है। इस बार पीएम मोदी ने 400 पार का लक्ष्य दिया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए दक्षिण को साधना बेहद जरुरी है। भारतीय जनता पार्टी को अक्सर उत्तर भारत की पार्टी कहा जाता है। इसके पीछे कारण उनका उत्तर भारत में जबरदस्त प्रभाव होना और दक्षिण में बेहद निष्प्रभावी होना है। एक अकेले महाराष्ट्र से लगे कर्नाटक को छोड़ दे तो दक्षिण में भाजपा को कई बार खाता खोलना भी लोहे के चने चबाने जैसा लगता है। पुडुचेरी और केरल दो ऐसे राज्य है जहाँ आज तक भाजपा एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई है। वहीं , आंध्र प्रदेश ,तेलंगाना , तमिलनाडु में भी भाजपा का प्रदर्शन कोई बहुत शानदार नहीं रहा है।
भाजपा ने दक्षिण में बढ़ाई अपनी सक्रियता
भाजपा लगातार दक्षिण में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश में लगी है। पीएम मोदी यहां लगातार कई रैली ,जनसभा और अन्य कार्यक्रम कर चुके है। इसके अलावा प्रतीकात्मक चिन्हों के सहारे भी भाजपा दक्षिण भारत को साधने की पूरी कोशिश कर रही है। चाहे नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना हो या फिर काशी - तमिल समागम। पीएम उत्तर - दक्षिण की इस खाई को खत्म करने के लिए लगे हुए है। राम मंदिर में लगी तीन मूर्तियों में से दो मूर्तियां भी दक्षिण भारत के मैसूर के रहने मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई हुई है।
इन सबके अलावा भी भाजपा ने पीटी उषा, सुर सम्राट इलैयाराजा, बाहुबली जैसी फिल्म के लेखक के. विजयेंद्र प्रसाद और समाजसेवी वीरेंद्र हेगड़े को राज्यसभा भेजा है । पीटी उषा केरल से, इलैयाराजा तमिलनाडु, विजयेंद्र प्रसाद आंध्र और हेगड़े कर्नाटक से आते हैं। भारत रत्न के जरिये भी सरकार ने कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन , पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को सम्मानित कर दक्षिण के योगदान को सरहाने का काम किया है।
बीजेपी अपनी पूरी ताकत से दक्षिण के किले में सेंध लगाने में लगी हुई है। तमिलनाडु में उन्होंने नए सेनापति के रूप में पूर्व आईपीएस अफसर अन्नामलई को अपना सेनापति ( प्रदेश अध्यक्ष) बनाया है। अन्नामलई खुद कोयंबटूर सीट से चुनाव लड़ रहे है। हालांकि उनके लगातार जयललिता और दूसरे एआईएडीएमके के नेताओं पर निशाना साधने के चलते उनका गठबंधन टूट चुका है। हालांकि , बीजेपी तमिलनाडु में पीएमके के साथ गठबंधन कर रही है तो वहीं आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण की जनसेना और तेलुगु देशम पार्टी के साथ चुनाव लड़ रही है।
क्यों दक्षिण में कमजोर है बीजेपी
भाजपा की राम मंदिर और हिंदुत्व की रणनीति ने उत्तर भारत में पार्टी को अप्रत्याशित कामयाबी दिलाई है। इसके अलावा कांग्रेस की टूट ने भी भाजपा को यहां मजबूत किया है। दक्षिण में कहानी कुछ उलट नजर आती है। यहां न तो धार्मिक मुद्दों पर उतना ध्रुवीकरण है , न ही यहां की क्षेत्रीय पार्टियों को तोड़ना उतना आसान है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी की तरह यहां चीजें दोहराना दूर की कौड़ी नजर आता है। इसके अलावा एक द्राविड बनाम आर्यन की हवा चलाई गई है जिस कारण से लोग भाजपा को बाहर की पार्टी के रूप में देखते है। कर्नाटक को छोड़ बाकी राज्यों के लोग हिंदी उतनी सरलता या बहुयात में नहीं समझ पाते जिस कारण प्रधानमंत्री के संदेश सीधे उन तक नहीं पहुंचते है। हालांकि पीएम मोदी के आने के बाद से दक्षिण के राज्यों में बीजेपी का स्कोर बढ़ा है लेकिन 400 के लक्ष्य को पाने और केवल उत्तर भारत की पार्टी के लेबल से बाहर आने के लिए स्कोर में काफी सुधार की जरूरत है।
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